Thursday 28 November 2013

क्या लिखो मुझे नही पता , कहा से लिखो यह समझ नही आरहा है , by shridhar mishra

mere gurudev jagadacharya shri tridandi swamiji maharaj 

क्या लिखो मुझे नही पता , कहा से लिखो यह समझ नही आरहा है , 


आज से करीब तेरह साल पहले दास के गुरुदेव और वैष्णव कुल दिवाकर जगदाचार्य श्री त्रिदंडी स्वामीजी महाराज का वैकुण्ठ वास दिनांक :२/१२/१९९९ को सुबह ९ बजे गुरूवार के दिन हो गया था ।


आज भी जब वो समय याद आता है तो क्या करो क्या कहो किस्से कहो कुछ समझ नही आता । शब्द कोष के शब्द कम पड जाते है, शब्द मुझे कोसने लगते है और कहते है कि अरे मुर्ख हमारे अंदर इतना समर्थ नही है जो उनके जीवन चरित्रामृत कि व्याख्या कर सके और लेखनी काम करना बंद कर देती है और डाटती है कि मेरे अंदर इतना बल नही है कि उनकी अनंत जीवन चरित्रामृत को लिख सको। तो बुद्धि विवेक कम करना बंद कर देते है और फिर एक चीज रेह जाती है और जिस्के कारण यह साँसे चल रहे है वो कषायम यगसूत्रम् का अनुशंधान। 


आइये कुछ अपनी सोच आपके सामने रखता हु : 


सोचता था कि क्या पता स्वामीजी के परमपद होनेके बाद यह पापो से युक्त शारीर कैसे चलेगा ? 


सोचता था कि अब कौन है जो बिना कहे हे मेरी सारी समश्याओं का समाधान कर देगा 


सोचता था कि कौन अब हम जैसे पतिको के पाप को आपने नेत्रो से रंच मात्र देख कर हर लेगा 


सोचता था कि अब कैसे जग मग जग मग कि गुंजारमय धवनि से भूमण्डल पवित्र होगा 


सोचता था कि अब किस्को सस्टांग परणाम करूँगा 


अब उन यतिराज का दर्शन कैसे होगा 


परन्तु इतना सोचने के बाद मुझे अपने आप से द्वेष हो गया कि मै कितना मुर्ख हु , कि इतना सा नही समझ सका कि स्वामीजी का पंचतत्वों से बना शारीर हे पंचतत्वों मे विलीन हुआ है श्री स्वामीजी महाराज तो आज भी दास के वक्ष गुहा मेंविराज मान हृदये में विराजमान है। 


मेंकितना मुर्ख था कि यह सोच लिए क्युकी स्वामीजी महराज आज भी अपने सारे भक्तो को उसी प्रकार दर्शन देते है समाधी स्थल इसका प्रमाण है। समाधी स्थल में स्वामीजी कि दिव्यज्योति के दर्शन आज भी होते है और जब तक यह भू देवी का अखंड साम्राजय है तब तक देते रहेंगे। 


भक्तजन पूछते है कि स्वामीजी महाराज के उत्तराधिकारी कौन है ? 


मेरे मत यह है कि क्या कोई स्वामीजी महाराज का उत्तराधिकारी बनने योग्य है ?? क्या इस धरा धाम पर कोई ऐसा समर्थ रखता है जो उनका उत्तराधिकारी बन सके। .... तो इसका जवाब होगा नही , क्युकी वो महान विभूति थे। इसके लिए उनका स्वम दुबारा अवतार लेना होगा अन्यथा नही। 


परन्तु हा स्वामीजी के गुणो के उत्तराधिकारी तो नही परन्तु उत्तराधिकारी जैसे उनके अमोघ बालक अवशय है जैसे :


स्वामी जी के पीठ एवं योग के अधिकारी वैकुण्ठ वासी जगद्गुरु योगिराज श्री देवनायाकचार्य स्वामीजी महाराज (वर्तमान में जगद्गुरु राजगोपालाचार्य त्यागी जी महाराज )


स्वामीजी के विद्या के अधिकार जगतगुरु वासुदेवाचार्य विद्याभास्कर स्वामीजी महाराज 


स्वामीजी के भक्ति एवं धर्मप्रचार के अधिकारी जगद्गुरु राजनारायणाचार्य स्वामीजी महाराज 


स्वामीजी के वासल्यता ,त्याग के अधिकारी श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामीजी महाराज 


स्वामीजी के यज्ञ आदि अनुष्ठान के आचार्य , श्री उमेश प्रसाद उपाध्याय जी 


और 


आत्मविजातो पुत्रः के सिद्धांत से स्वामीजी के सारे शिष्य मंडली भक्त मंडली उनकी उत्तराधिकारी है। . 


स्वामीजी हमारे माध्याम से इस धरा धाम पर है क्युकी वो हमारे पिता थे(गुरु होने के कारण) और हैम उनके संतान। 


आज स्वामीजी महाराज की पुण्य तिथि है और नही लिखने का समर्थ है बस एक स्लोक लिख रहा हु


न द्रिष्ठ्स्ते स्वामिन् क्वचिदपि विरामो निजजने |


अकस्मात् किं जातं विरतिरभवत् लोकशरणौ || 


जगद् भ्रामं भ्रामं कुशिकतनयस्याश्रमभुवि |


प्रलीनः संजातः स्जनजगतो दुःखशमनः||


जय श्रीमन्नारायण 


स्वामीजी का अमोघ बालक 


पंडित श्रीधर मिश्र 

दिल्ली 

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