pandit shridhar mishra
Monday, 25 November 2013
upadesh
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अहमस्मि तवैवेति प्रपन्नाय सकृत् स्वयम् |
देवो नारायणो श्रीमान् ददात्यभयमुत्सुकः ||
(नारद पांचरात्र न्यासोप्देशो (१/११)
भगवान् श्रीमान्नारायण के प्रति प्रपन्न भाव से एक बार भी " हे प्रभु
! में तो आप ही का दास हु " कहकर स्वयं को न्यस्त कर दे तो
भगवान् स्वयं ही करुणावश भक्त के प्रति उत्सुक होकर उसे अभय
प्रदान कर देते है
(नोट : न्यास = प्रपति )
जय श्रीमन्नारायण
पंडित श्रीधर मिश्र
अध्यक्ष
श्री त्रिदंडी देव वैदिक संस्थान
०९९५८७८७११४
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