शरणागति की महिमा
-------------------------------------शरणागति सकल फल प्रदान करने वाली है | किसी भी फल को चाहे वह सांसारिक हो या परमार्थिक चाहने वाला पुरुष सरनागति कर सकता है | भक्ति योग सकल फल देने वाला है | गीता में श्री भगवान् ने कहा है की
चतुर्विधा भजन्ते माँ जनः .......(गीता ७ /१६ )
श्री भगवान् के शरण में जाते हे मनुष्य को विशुद्ध वैक्तित्व की प्राप्ति होती है |
व्यक्ति का दुःख और शुख तब तक ही होता है जब तक वो संसारिक वस्तुओ की और आकर्षित रहता है परन्तु अगर उसकी निष्ठां उसके इष्ट के प्रति हो जाए तो उसके सर्वश दुःख शुख के अधिकारी भगवान् ही हो जाते है
जिस प्रकार माता सीता कहती है की में मन से कर्म से और वचन से श्री राम जी को ही मानती हु (मनसा कर्मणा वाचा ...(वाल्मीकि रामायण ) )
उसी प्रकार हमें मन से वचन से अपना सर्वस्य भगवान् श्रीमन्नारायण के श्री चरणों में समर्पित कर देना चाहिए |
इसके बाद ही हमें परमधाम की प्राप्ति हो सकती है |
इसे यह सिद्ध होता है की शरणागति सकल फल प्रदान करने वाली है |
जय श्रीमन्नारायण !
पंडित श्रीधर मिश्र
दिल्ली
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