Monday 25 November 2013

aacharya upadesh



बक्सर की पञ्चकोसी परिक्रमा (दिनांक २२ से २६ नवंबर २०१३)

बक्सर एक ऐतिहासिक,सांस्कृतिक, पौराणिक तथा वैदिक तीर्थ है। इसे पुराणों में अनेक नामों से स्मरण किया गया है। वास्तव में बक्सर व्याघ्रसर का अपभ्रंश शब्द है। प्रसिद्ध व्याघ्रसर को क्षेत्रीय लोग बाघसर या बगसर कहा करते थे। इसका रूप मुग़ल काल में बगसर से बक्सर बन गया। सतयुग का सिद्धाश्रम, त्रेता का वामनाश्रम, द्वापर का वेदगर्भापुरी कलियुग में व्याघ्रसर नाम से प्रचलित हुआ। बक्सर पतित पावनी गंगा के पावन दक्षिण तट पर अवस्थित है। बक्सर के पांच कुण्ड, पांच ऋषि तथा पांच शिवलिंग दर्शनीय है। विश्राम कुंड, व्याघ्रसर पुष्करिणी, श्रीरामह्रद रामरेखा घाट, श्री वामन कुंड (गंगा ठोरा संगम) तथा श्री विश्वामित्रह्रद ये पांचो कुंड हैं। रामेश्वर, संगमेश्वर, सोमेश्वर, चित्ररथेश्वर तथा गौरी शंकर ये अनादि एवं विलक्षण शिवलिंग हैं जिनके दर्शन मात्र से मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं। पांच ऋषियों में श्री गौतमाश्रम (अहिरौली), श्री नारदाश्रम (नदांव), श्री भार्गवाश्रम (भभुअर), श्री उत्तालकाश्रम (उन्वांव) तथा महर्षि विश्वामित्र यज्ञ स्थल (चरित्रवन) प्रसिद्ध हैं। तीर्थयात्री प्रथमदिन (मार्गशीर्ष पञ्चमी) को गौतमाश्रम अहिरौली, षष्ठी को नारदाश्रम नदांव, सप्तमी को भार्गवाश्रम भभुवर, अष्टमी को उत्तालकाश्रम उन्वाँव तथा नवमी को महर्षि विश्वामित्र यज्ञस्थल चरित्रवन में विश्राम करते हैं तथा लिट्टी चोखा का भगवान् को भोग लगा के प्रसाद ग्रहण करते हैं। तीर्थयात्रियों की सेवा श्री वसांव पीठाधीश्वर श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर श्रीपति पीठाधीश्वर, श्रीनिवास मंदिर पीठाधीश्वर तथा अहिरौली में अहिरौली के मठाधीश्वर क द्वारा होती आयी है। वर्तमान में श्री त्रिदंडी स्वामी समाधि मन्दिर तथा श्री सीताराम विवाह स्थल नयी बाज़ार बक्सर के महापुरुष भी सेवा में संलग्न दीखते हैं। बक्सर की परिक्रमा अवश्य करनी चाहिए। बिहार एवं उत्तर प्रदेश की सीमा पर अवस्थित बक्सर रेल अथवा सड़क मार्ग से सुगम्य है। महयोगिराज जगदाचार्य श्रीमद्विश्वकसेनाचार्य श्री त्रिदण्डी द्वारा
विरचित सिद्धाश्रम (बक्सर) महात्म्य ग्रन्थ देखना चाहिए। बक्सर के दर्शनीय स्थल श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर, श्री वैकुण्ठनाथ मन्दिर, श्री श्रीनिवास मन्दिर, श्री रामानुजकोट, श्री त्रिदंडीदेव समाधी स्थल, श्री विश्वामित्र आश्रम, श्रीराम चबूतरा इसके अलावा श्री सीताराम विवाह स्थल नईबाजार, श्री प्रसन्न राघव मंदिर , श्री वसाव मठ (स्टेशन रोड) श्री रामरेखा घाट, श्री सिद्धनाथ मंदिर इत्यादि हैं। इसी बक्सर में पूर्ण सनातन ब्रह्म भगवान् विष्णु का अवतार वामन रूप में हुआ था तथा भगवान् विष्णु ही श्री अयोध्या में रामरूप धारण कर के अपनी प्रथम विजय यात्रा बक्सर कि की थी तथा आतंकवादिनी ताटका तथा सुबाहु का वध किया था।

-- रा. राजनारायणाचार्य
भक्ति वाटिका देवरिया

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